लोग-बाग अन संस्कृति

लोग-बाग

मेवाड़ का लोगाँ की गणती (2001 की गणती का टेम में) 5 लाख के लगे-भगे ही, ज्यो राजस्थान का च्यार जिला में फेली तकी हे। आर्यों की टेमऊँ पेल्याँ पुराणी ज्यात्याँ जस्यान के भील, मीणा आका मेवाड़ पे आपणो राज जमा मेल्यो हो। ईं वाते आर्य अटे आन बस ग्या। अबे अणाने नरी जात्या अन समाज में देक्याँ जा सके हे। अटा तईं के ऊसी जात्या में भेद-भाव अन छुआ-छुत ने भी देक्यो जा सके हे। मेवाड़ अन मारवाड़ का राजपुताँ ने आपणी मातृ-भुमी का आदर अन स्वतंत्रता का वाते हमेस्यान ऊबा तका देक्या जा सके हे। अणा बेस कविताईस ने लिकी, पण युद्ध में भी लड़्या जणीऊँ के, यो बता सके के जीं तरियाँऊँ वीं लीकणो जाणे हे, वस्यान तरवार चलाणो भी जाणे हे। वाकीं कविता में बेस वाकीं बाताँईस ने ही पण वाकाँ में आपणी कमी बताबा वाळा सबद भी वेता हा।

वस्यान तो राजस्थान का लोग करसाण अन वोपारी हे। ईं लोग-बाग पसु-पालन भी करे हे, जींमे खास तोरऊँ ऊँट, अन बकरी हे अन ईं लोग कारीगर भी हे।

धरम

यद्याँ राजस्थान ने देकणो वे तो अटा की धारमिक जगाँ ने देको। धरम का बारा में देक्यो जावे तो राजस्‍थान में हिन्दू, मुस्लिम अन जैन को हाराई मनका का जीवन में एक खास जगा हे। ईं हाराई धरम पुराणी टेमऊँ लगान अबाणू तईं बण्या तका हे। ईंके हाते सिख अन मसी लोग भी राजस्थान में हे, पण अणामें राजस्थान का लोग कम हे।

मेवाड़ी भासा बोलबा वाळा लोग, एक परवार में रेबा की वेवस्ता बना राकी हे। अणाके आपणी समाज का गाट्टा नेम हे। हातेई हाते वाँके आपणी समाज का हस्याबऊँ एक दूजा के हाते सम्बन्ध हे। ईंमें गावाँ का लोग हंगळाई मोका पे जस्यान ब्याव-शादी, छोरा-छोरी को जनम अन अटा तईं के जद्या किकी भी मोत वे जावे तो वीं टेम में हंगळा लोग भेळा वेवे हे।

पुराणा टेमऊँ तेंवार राजस्थानी संस्कृति को एक खास भाग हे। हाराई मेळा अन तेंवार की सरुआत मनऊँ वेवे हे। जो पुराणा टेम अन अबाणु का टेम ने एक करबा की तागत राके हे। राजस्थान का तेंवाराँ मूँ एक खास तेंवार अप्रेल का मीना में उदयपुर में मनायो जाबा वाळो तेंवार मेवाड़ को तेवार केवावे हे।

भणई

राजस्थान की भणई को परसेन्ट 1991 में 38.55% ऊँ 2001 में  61.03% तईं बड़्यो हे। पच्छे भी 65.38% देस की भणईऊँ नरोई कम हे।